Welcome I Namaste I Tashi Delek!
This is a very special festival for us. A festival of many firsts…
The first festival after the lockdowns
The first time we’re doing a festival during the monsoons
The number of local shows with first timers on stage.
We live in very strange times where hate seems to trump over love. So much so that there are times when I wonder what is the point of doing all this but then the words of a very wonderful theatre person who left us very recently resonate in my head.
“…to swim against the tide and achieve what we can in our chosen field. Fate dictated that mine was that of theatre and within that, I have a responsibility to be as positive and creative as I can. To give way to despair is the ultimate cop-out.”
We’re working our heads and bodies off putting this together for you all. Our actors are battling rains, slippery slopes, full-day work and family care AND coming for rehearsals and giving their best!
We have stories of Magic I Gender I Caste I Wisdom I Patriarchy I Gentleness I Lost Lands and much more. Our schedule will be up soon here so keep an eye out.
So, dear audiences, do come with us to discover and explore all these different worlds. We look forward to seeing you on the 16 th and the 17 th of July!
वेल्कम । नमस्ते । ताशी डेलेक
ये हमारे लिए एक बहुत ही बेशक़ीमती महोत्सव है। एक ऐसा महोत्सव जिसमें पहली दफ़ाओं की लड़ी लगी हो..
लॉकडाउन के बाद पहला महोत्सव
मॉन्सून के महीने में हमारा पहला महोत्सव
पहली दफ़ा स्टेज पर उतरे लोकल कलाकारों के शोज़
हम एक बेहद ही अजीब माहौल में जी रहे है, जिधर प्यार पे नफ़रत भारी पड़ रहा है। इतना कि कभी-कभी लगता है ये महोत्सव करने का मतलब ही क्या है, पर तभी एक सुप्रसिद्ध नाट्यकार जिनका देहांत अभी हाल ही में हुआ है उनकी कहीं कुछ पंक्तियाँ मेरे ज़हन में घूमने लगती हैं।
“…लहरों के विरुद्ध तैरना ज़रूरी है और अपने चुने कार्यक्षेत्र में कुछ हासिल करना भी, क़िस्मत ने चुना की मेरा कार्यक्षेत्र रंगमंच हो और उसके अंदर, मेरी ज़िम्मेदारी है कि मैं उतना आशावादी और रचनात्मक हो सकूँ जितनी कि सम्भावना है। निराशावाद को जगह देना परम कामचोरी है।”
हम अपनी पूरी जी और जान लगाके आप सबके लिए इस महोत्सव की तैयारी में जुटे हैं। हमारे कलाकार बारिश से लड़के, फिसलन भरे रास्तों से जूझके, पूरे दिन का काम निपटाके, परिवार का ख़याल रखकर रिहर्सल में आते हैं और अपना बेस्ट देने की कोशिश करते हैं।
हमारे पास तिलिस्म। नारीवाद।समझदारी। जाति। पित्रसत्ता। सौम्यता।खोई ज़मीनी पहचान की कहानियाँ हैं। हमारा शेड्युल जल्द ही यहाँ उपलब्ध होगा, आपसे विनती हैं कि अपनी एक आँख यहीं गड़ाए रखें।
तो प्रिय दर्शकगण, ज़रूर आइए और हमारे साथ इन अनोखी दुनियाओं का भ्रमण कीजिए और इनके बारे में जानिए। हम 16 और 17 जुलाई को आप सबकी प्रतीक्षा करेंगे।